अमेरिका / दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक डम्पर, वजन 290 टन; यह बैटरी और हाइड्रोजन ईंधन से चलता है
- माइनिंग कंपनी एंगलो अमेरिकन ने इस डम्पर को बनाया है, इसका इस्तेमाल द. अफ्रीका की प्लेटिनम खान में किया जाएगा
- यह डम्पर इससे पहले के सबसे बड़े ई-डम्पर के मुकाबले 6 गुना अधिक बड़ा है, अभी 45 टन के जर्मन मेड ई-डम्पर का इस्तेमाल स्विट्जरलैंड की खान में होता है
वॉशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय माइनिंग कंपनी एंगलो अमेरिकन ने दावा किया है कि वह जल्द ही दुनिया के सबसे बड़ा ई-डम्पर का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका की प्लेटिनम की खान में करेगी। इसका वजन 290 टन के करीब है। यह डम्पर फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक सिस्टम से चलता है। इसमें डीजल की जगह लिथियम आयन बैटरी और हाईब्रिड हाइड्रोजन ईधन का इस्तेमाल होता है। यह डम्पर इससे पहले के सबसे बड़े ई-डंपर के मुकाबले 6 गुना अधिक ताकतवर है। अभी सबसे बड़ा ई-व्हीकल 45 टन वजनी है। जर्मन मेड इस व्हीकल का इस्तेमाल स्विट्जरलैंड की मार्ल्सटोन की खान में किया जा रहा है।
नया डम्पर 1000 किलोवॉट प्रति घंटा कम्बाइन इनर्जी को स्टोर करेगा। इंजन द्वारा उत्पन्न वेस्ट मटेरियल के रूप में सिर्फ पानी बचेगा। इससे हाइड्रोजन ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह डम्पर ब्रेकिंग सिस्टम से तैयार होने वाली कायनेटिक एनर्जी को भी स्टोर करेगा, जिससे की लिथियम आयन बैटरी चार्ज होगी। फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक डम्पर को बनाने के लिए एंग्लो अमेरिकन ने ब्रिटेन की कंपनी विलियम्स एडवांन्स्ड इंजीनियरिंग के साथ पार्टनरशिप की है। लंदन स्थित यह कंपनी ई- रेसिंग कारों के लिए बैटरियां बनाती है। कंपनी के क्रेग विल्सन ने कहा- 'वह इस इनोवेशन के लिए साथ जुड़कर बहुत उत्साहित हैं।'
हाइड्रोजन फ्यूल सेल कैसे काम करता
फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) एक ऐसा सिस्टम है जो कि ईंधन स्रोत के तौर पर हाइड्रोजन और ऑक्सिकारक का इस्तेमाल कर विद्युत-रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमीकल) प्रक्रिया से बिजली बनाता है। फ्यूल सेल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के मिलकर बिजली तैयार होने में पानी बाइप्रोडक्ट होता है। सामान्य बैटरियों की तरह हाइड्रोजन ईंधन सेल भी रासायनिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलता है। यही कारण है कि एफसीईवी लंबे समय टिकाऊ है। इनका इस्तेमाल अभी कारों में हो रहा है। अब इनका इस्तेमाल भारी वाहनों में करने की तैयार की जा रही है।
फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) एक ऐसा सिस्टम है जो कि ईंधन स्रोत के तौर पर हाइड्रोजन और ऑक्सिकारक का इस्तेमाल कर विद्युत-रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमीकल) प्रक्रिया से बिजली बनाता है। फ्यूल सेल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के मिलकर बिजली तैयार होने में पानी बाइप्रोडक्ट होता है। सामान्य बैटरियों की तरह हाइड्रोजन ईंधन सेल भी रासायनिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलता है। यही कारण है कि एफसीईवी लंबे समय टिकाऊ है। इनका इस्तेमाल अभी कारों में हो रहा है। अब इनका इस्तेमाल भारी वाहनों में करने की तैयार की जा रही है।
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