13 साल पहले इस फिल्म की शूटिंग के वक्त दो बार मरने से बचे थे मनोज बाजपेयी, अब बताई दर्दनाक दास्तां
मनोज बाजपेयी बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों में से एक हैं। उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, सत्या और अलीगढ़ जैसी कई शानदार फिल्मों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। अभिनय से लिए उन्हें कई पुरस्कार भी हासिल हो चुके हैं। ऐसे में उन्होंने अपनी अवॉर्ड विनिंग फिल्म से जुड़ी यादों की याद किया है। यादें ताजा करते हुए मनोज बाजपेयी ने ये भी बताया है कि फिल्म की शूटिंग करने के दौरान उनकी दो बार मरने जैसी हालत हो गई थी।
मनोज बाजपेयी ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर अपनी फिल्म 1971 का पोस्टर साझा किया है। उनकी ये फिल्म साल 2007 में आई थी। इस फिल्म के पोस्टर को साझा करते हुए मनोज बाजपेयी ने हैरान कर देने वाला खुलासा किया। उन्होंने पोस्टर के कैप्शन में लिखा, 'फिल्म बनाने की कुछ यादें आपको नहीं छोड़ती हैं। फिल्म 1971 के लिए मैंने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते, मनाली की ज्यादा ठंड के बीच हर लोकेशन को पसंद किया।'
मनोज बाजपेयी ने कैप्शन में आगे लिखा, 'मेरी करीब दो बार जान जाने से बची थी, निर्देशक अमित अमृत सागर, पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित और दीपक डोबरियाल की इस डेब्यू फिल्म के मैं वो 60 दिन नहीं भूल सकता।' मनोज बाजपेयी की इस पोस्ट पर तमाम सोशल मीडिया यूजर्स अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बता करें मनोज बाजपेयी की फिल्मों की तो वह आखिरी बार फिल्म सोनचिड़िया और वेब सीरीज द फैमिली मैन में नजर आए थे। इन दोनों ही फिल्म में दर्शकों ने उनके अभिनय को काफी पसंद किया था।
इसके अलावा इन दिनों मनोज बाजपेयी अपनी अगली फिल्म 'सूरज पे मंगल भारी' की शूटिंग मेें व्यस्त हैं। बीते दिनों इस फिल्म से जुड़ी पहली झलक सामने देखने को मिली। यह खास सीन मुंबई के भीड़-भाड़ वाले छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी/सीएसटी) पर शूट किया गया है। अभिषेक शर्मा निर्देशित इस फिल्म के प्री क्लाइमेक्स (क्लाइमेक्स से पहले) सीन की शूटिंग स्टेशन के 10 नंबर प्लेटफॉर्म पर संपन्न की गई। फिल्म से जुड़े एक करीबी सूत्र के अनुसार, 'जब लोगों को पता चला कि हम सीएसएमटी पर शूट करने जा रहे हैं तो वहां बड़ी तादाद में लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। प्लेटफॉर्म पर शूट करने के लिए हमारे पास करीब 150 जूनियर आर्टिस्ट अंदर मौजूद थे। सितारों की एक झलक पाने के लिए वहां पर लोगों का जमावड़ा लग गया था।
वहीं फिल्म के निर्देशक अभिषेक शर्मा ने कहा, 'फिल्म में क्लाइमेक्स से पहले का एक सीन है जिसमें रेलवे स्टेशन की जरूरत थी। आमतौर पर फिल्मकार एक नियंत्रित माहौल में शूटिंग करने को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन यह बनावटी लगता है। यह फिल्म नब्बे के दशक पर आधारित है जिसके लिए विक्टोरिया टर्मिनस (सीएसएमटी का पुराना नाम) शूटिंग के लिए एकदम मुफीद जगह थी। हमने शूटिंग के लिए सभी जरूरी अनुमति ले ली थी। हां यह थोड़ा महंगा था लेकिन असल जगह सीन में एक बेहतर और असल माहौल का अनुभव देते हैं। इंजन ड्राइवर काबिल और पेशेवर थे।'
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