Tisra navratri katha image mantr aarti pujan strot kavach chandarghanta - तीसरा नवरात्री माँ चंद्रघंटा का पूजन , कवच , मन्त्र , स्त्रोत , आरती
भक्तो 24 मार्च 2023 को तीसरा नवरात्री है , इस दिन को माँ चन्द्रघण्टा का दिन माना जाता है ,
आपको बता दे की पंडित प्रदीप मिश्रा जी इस दिन माता पार्वती का पूजन क्यों करने को कहते है , क्योकि माँ चन्द्रघण्टा माता पार्वती का ही सुहागिन स्वरुप है , माता का नाम चन्द्रघण्टा इस लिए है क्योकि इनके शीश पर चन्द्रमा विराजमान है , इसलिए इन्हे चन्द्रघण्टा कहा जाता है ,
आगे आप माता के पूजन की विधि जानेंगे और माता को क्या अच्छा लगता है वो जानेंगे इससे अलग आप माँ चन्द्रघण्टा को प्रशन्न करने के लिए माता की आरती , माता का मन्त्र , स्त्रोत और माता चन्द्रघण्टा के कवच के बारे मे जानेंगे ,
माँ चन्द्रघण्टा के उपासना मंत्र, ध्यान, स्तोत्र और कवच
माँ चन्द्रघण्टा मंत्र – Maa Chandraghanta Mantra
माँ चंद्रघंटा माँ पार्वती का सुहागिन स्वरुप है. इस स्वरुप में माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित है इसीलिए इनका नाम चन्द्र घंटा पड़ा. माँ चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है एवं उनको असीम शांति और वैभवता की प्राप्ति होती है. माँ चंद्रघंटा के ध्यान मंत्र, स्तोत्र एवं कवच पाठ से साधक का मणिपुर चक्र जागृत होता है जिससे साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है.
माँ चन्द्रघण्टा तीसरे नवरात्र के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद जिससे माता प्रसन्न होती है और अपने भक्तो को मनचाहा वरदान देती है
माँ चन्द्रघण्टा को हरा रंग बहुत पसंद है इसलिए आप जब भी माँ चन्द्रघण्टा का पूजन करे तो कोशिश करे की आप हरे रंग के कपडे पहने ,
यह दिन “बृहस्पति सम्बंधित शांति पूजा” के लिए सर्वोत्तम दिन है. तीसरे नवरात्रि माँ चन्द्रघण्टा के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे आपके दान का महत्व बहुत बढ़ जाएगा। इससे जीवन में सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है
अब हम जानते है की माँ चन्द्रघण्टा को प्रसन्न करने के लिए कोनसे मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए
माँ चन्द्रघण्टा उपासना मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
माँ चन्द्रघण्टा ध्यान
वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्॥
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्॥
आपमें से बहुत भक्तो को माँ चंद्रघंटा इस मन्त्र का मतलब नहीं पता होगा इसलिए हम आपको इसका हिंदी अनुवाद भी दे रहे है
पिंडजप्रवरारूढ़ा चंडकोपासास्त्रकैर्युथा |
वह चंद्रघंटा के नाम से जानी जाती हैं और वह मुझ पर कृपा करती हैं
मां चंद्रघंटा ध्यान
मनोवांछित लाभ के लिए चन्द्रमा के शिखर को प्रणाम करता हूँ।
सिंह पर सवार विख्यात दसभुजा चंद्रघंटा
स्वर्ण नाभि और तीन नेत्रों वाली तीसरी दुर्गा मणिपुर में स्थित हैं।
तलवार, गदा, त्रिशूल, धनुष, बाण, कमल जलपात्र, माला, निर्भय श्रेष्ठ।
वह रेशमी वस्त्रों में सजी हुई है , और उसकी कोमल मुस्कान है , और विभिन्न आभूषणों से सुशोभित है ,
वह हार, बाजूबन्द, मनके और रत्नजड़ित कुण्डलियों से सुशोभित है ।
प्रफुल्ल वंदना बिभद्रा कांता कपोलं तुग कुचम।
युवती अपनी कमर और क्षीण कूल्हों के साथ प्यारी है ,
माँ चन्द्रघण्टा स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
भक्तो ऊपर आपको माँ चंद्रघंटा का स्त्रोत बताया गया आप लोगो की अच्छी समझ के लिए माँ चंद्रघंटा के स्त्रोत का हिंदी अनुवाद भी दे रहे है ,
मां चंद्रघंटा स्तोत्र
आप शुभ सर्वोच्च की आधी शक्ति हैं
मैं अणिमा से प्रारंभ करते हुए पूर्णता के दाता चंद्रघंटा को नमन करता हूं।
चंद्रमुखी, मनोवांछित दाता, मनोवांछित मन्त्र का स्वरूप।
ऐश्वर्य और सुख देने वाली चंद्रघंटा को मैं प्रणाम करता हूं
वह विभिन्न रूपों को धारण करती है और इच्छा से भरी होती है और धन देती है।
सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करने वाली चन्द्रघंटा को मैं प्रणाम करता हूँ
माँ चन्द्रघण्टा कवच
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
भक्तो ऊपर आपको माँ चंद्रघंटा का कवच बताया गया है जिसे उच्चारण करने मात्र से माता खुश होती है और आप पर आने वाली परेशानियों का हरण करती है , आप सभी भक्तो के लिए हम यहां पर माता के कवच का हिंदी अनुवाद भी दे रहे है
मां चंद्रघंटा कवच
हे कमल मुख वाले शिव, मैं तुम्हें जो रहस्य बताता हूँ, उसे सुनो।
श्री चंद्रघंटा की यह ढाल सभी सिद्धियों को प्रदान करती है।
बिना भरोसे के, बिना विनियोग के, बिना श्राप के, बिना त्याग के।
स्नान, शुद्धिकरण आदि कुछ भी नहीं है, जो केवल विश्वास से सिद्ध होता है।
हम टेढ़े, छली और निन्दक को भरमाएंगे।
इसे कभी नहीं देना चाहिए, इसे कभी नहीं देना चाहिए, इसे कभी नहीं देना चाहिए।
माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र
माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम: है।
भक्तो माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र दिया गया है माँ चंद्रघंटा के पूजन के समय इस मन्त्र का जाप जरूर करे।
भक्तो आपसे एक निवेदन है की आप इस पोस्ट को सभी मित्रो के साथ और जितना ज्यादा हो सके लोगो के साथ शेयर करे और धर्म लाभ उठाए , क्योकि यह post एक प्रसाद मात्र है और प्रसाद को जितना ज्यादा बाटा जाए उतना ज्यादा फल मिलता है
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JAI MATA DI
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